जैविक खाद बनाने की विधि

Rajiv Dixit ::: जैविक खाद बनाने की विधि
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जैविक खाद बनाने की विधि. ... जैविक खाद बनाने की विधि. किसान स्वंय खाद घर में बना सकता है कम से कम खर्च में · facebook twitter youTube google+. Join WhatsApp : 7774069692. स्वदेशीमय भारत ही, हमारा अंतिम लक्ष्य है | ...
जैविक खेती – जैविक खाद निर्माण विधियां ...
https://gwaliortimes.wordpress.com/.../जैविक-खेत...
जैविक खाद बनाने की विधि. अब हम खेती में इन सूक्ष्म जीवाणुओं का सहयोग लेकर खाद बनाने एवं तत्वों की पूर्ति हेतु मदद लेंगे । खेतों में रसायनों से ये सूक्ष्म जीव क्षतिग्रस्त हुये हैं, अत: प्रत्येक फसल में हमें इनके कल्चर का उपयोग ...
जैविक खेती से मुनाफा ही मुनाफा | इंडिया ...
hindi.indiawaterportal.org/node/45564
किसान भी जैविक खाद और कीटनाशक बनाने में अपने अनुभव से कृषि वैज्ञानिक तक को मात दे रहे हैं। ऐसे ही किसान हैं महाराष्ट्र के नारायणराव पांडेरी पांडे उर्फ नाडेप काकाद्ध, जिनकी खाद बनाने की देशज विधि आज न केवल लोकप्रिय है, ...
खाद बनाने कि विधि । एक सरल सूत्र बताता ...
https://www.facebook.com/.../posts/55424373136775...
जैविक खेती ... एक एकड़ खेत के लिए किसी भी फसल के लिए खाद बानाने कि विधि। ... गुड़ डाल दीजिए और गुड़ ऐसा डाल दीजिए जो गुड़ हम नहीं खा सकते, जानवरी नहीं खा सकते, जो बेकार हो गया हो, वो गुड़ खाद बनाने में सबसे अच्छा काम में आता है।
जैविक खेती — विकासपीडिया
hi.vikaspedia.in/.../91c94893593f915-916947924940
जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है, .... खाद बनाने के लिये कुछ तरीके नीचे दिये जा रहे हैं, इन विधियों से खाद बनाकर खेतों में डालें।
गोबर - विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/गोबर
अनुक्रम. [छुपाएँ]. 1 गोबर में उपस्थित पदार्थ एवं गुण; 2 उपयोगिता; 3 गोबर से खाद बनाने कीविधियाँ. 3.1 ठंडी विधि; 3.2 गरम विधि; 3.3 हवा की उपस्थिति में खाद और गैस उत्पादन. 4 इन्हें भी देखें; 5 बाहरी कड़ियाँ ...
जैविक खेती - विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/जैविक_खेती
Jump to पर्यावरण की दृष्टि से - कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है। ... जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की ...
स्वरोजगार के विभिन्न क्षेत्र - Sarvoday
sarvoday.co.in/swarojgar.html
प्लास्टिक गेंद फुटबाल बनाने की ईकाई, पीवीसी कोटेड वापर निर्माण उद्योग, अजवाईन की खेती. करामत की खेती, मच्छर ... प्राकृतिक जैविक खाद, फलों एवं सब्जियों का शीतलीकरण, छोटा ट्रांसफार्मर निर्माण ईकाई .... जैविक खाद बनाने की विधि. 1. 10 किलो ...
जैविक खेती
mpkrishi.org/krishinet/.../gudwatta_Jaivik_Kheti.asp
कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है । फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृध्दि अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ताा का खरा उतरना।जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की ...
आमंत्रित लेख : घरेलू खाद बनायें, पैसे बचायें
kvkrewals.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
खाद बनाने की पारम्परिक विधि (गहरे गड्ढे में खाद बनाना) से हानि ... गोबर से खाद बनाने की विधि को विस्तारपूर्वक समझायें .... गोबर की खाद (1) जल संरक्षण (1) जैव-ऊर्वरक (1) जैविक गृह वाटिका (1) टोफू (1) पेय जल (1) फफूँदनाशक (1) बायो-फर्टीलाईज़र (1) बीज ...


1 खाद बनाने कि विधि
1) एक बार में 15 किलो गोबर लगता है और ये गोबर किसी भी देसी गौमाता या देसी बैल का ही होना चाहियें। विदेशी या जर्सी गायें का नहीं होना चाहियें ।
2) इसमें मिलायें 15 लीटर मूत्र, उसी जानवर का जिसका गोबर लिया है । दोनों मिला लीजिए प्लास्टिक के एक ड्रम में रख दें ।
3) फिर इसमें एक किलो गुड़ डाल दीजिए और गुड़ ऐसा डाल दीजिए जो गुड़ हम नहीं खा सकते, जानवरी नहीं खा सकते, जो बेकार हो गया हो, वो गुड़ खाद बनाने में सबसे अच्छा काम में आता है। तो एक किलो गुड 15 किलो गोमूत्र, 15 किलो गोबर इसमें डालिए ।
4) फिर एक किलो किसी भी दाल का आटा (बेसन) ।
5) अंत में एक किलो मिट्टी किसी भी पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे से उठाकर इसमें डालना ।
ये पाँच वस्तुओं को एक प्लास्टिक के ड्रम में मिला देना, डंडे से या हाथ से मिलाने के बाद इसको 15 दिनों तक छावं मे रखना । पन्द्रह दिनों तक इसका सुबह शाम डंडे से घुमाते रहना। पन्द्रह दिनों में ये खाद बनकर तैयार हो जाएगा । फिर इस खाद में लगभग 150 से 200 लीटर पानी मिलाना । पानी मिलाकर अब जो घोल तैयार होगा, ये एक एकड़ के लिए पर्याप्त खाद है। अगर दो एकड़ के लिए पर्याप्त खाद है तो सभी मात्राओं को दो गुणा कर दीजिए।


2 खाद बनाने कि विधि ।
1. 10 किलो गाय का गोबर, 5 लीटर गौ मूत्र, एक दो किलो गुड़, दो सौ ग्राम सरसो, मूंगफली, सोयाबीन या कोई भी खाने का तेल एक दो किलो सस्ती दाल चना मटर आदी का आंटा तथा एक मुट्ठी भर बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी इन सब को मिलाकर रख लें सात आठ दिन में सड़कर प्रक्रिया पूरी हो जायेगी यह खाद एक एकड़ के लिऐ पर्याप्त है इसे अपने सुविधा अनुसार डाल सकतें है।
2. तालाब की मिट्टी व जंगल की पत्तों से सढ़ी हुई मिट्टी अपनी खेत में डालकर व जैविक खाद का इस्तेमाल कर पहले ही साल में पहले से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते है।

3 खाद बनाने कि विधि 
छायादार स्थान में 10 फीट लम्बा, 3 फीट चौड़ा, 12 इंज गहरा पक्का ईंट सीमेन्ट का ढांचा बनायें । जमीन से 12 इंच ऊंचे चबूतरे पर यह निर्माण करें । इस ढांचे में आधी या पूरी पची (पकी) गोबर कचरे की खाद बिछा दें । इसमें 1 1-1 फीट में 100केंचुऐ डालें । इसके ऊपर जूट के बोरे डालकर प्रतिदिन सुबह, शाम पानी डालते रहें । इसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा नमी ना रहे दो माह बाद यह खाद बन जायेगी । जिसका 15से 20 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से इस खाद का उपयोग करें।
अब इसको खेत में कैसे डालना है ?
अगर खेत खाली है तो इसको सीधे स्प्रै कर सकते हैं मिट्टी को भिगाने के हिसाब से। डब्बे में भर-भर के छिड़क सकते हैं या स्प्रै पम्प में भरकर छिड़क सकते हैं, स्प्रै पम्प का नोजर निकाल देंगे तो ये छिड़कना आसान होगा ।
फसल अगर खेत में खड़ी हुई है तो फसल में जब पानी लगाएंगे तो पानी के साथ इसको मिला देना है।
खेत मे यह खाद कब-कब डालनी है ?
इसका आप हर 21 दिन में दोबारा से डाल सकते हैं आज आपने डाला तो दोबारा 21 दिन बाद डाल सकते हैं, फिर 21 दिन बाद डाल सकते हैं। मतलब इसका है कि अगर फसल तीन महीने की है तो कम से कम चार-पांच बार डाल दीजिए। चार महीने की है तो पांच से छह बार डाल दीजिए। 6 महीने की फसल है तो सात-आठ बार डाल दीजिए, साल की फसल है तो उसमें आप इसको 14-15 बार डाल दीजिए। हर 21 दिन में डालते जानला है। इस खाद से आप किसी भी फसल को भरपूर उत्पादन ले सकते हैं - गेहूँ, धन, चना, गन्ना, मूंगफली, सब्जी सब तरह की फसलों में ये डालकर देख गया है। इसके बहुत अच्छे और बहुत अदभुत परिणाम हैं।
सबसे अच्छा परिणाम क्या आता है इसका? आपकी जिंदगी का खाद का जो खर्चा है 60 प्रतिशत, वो एक झटके में खत्म हो गया। फिर दूसरा खर्चा क्या खत्म होता हैं जब आप ये गोबर-गोमूत्र का खाद डालेंगे तो खेत में विष कम हो जाएगा, तो जन्तुनाशक डालना और कम हो जाएगा, कीटनाशक डालना ओर कम हो जाएगा। यूरिया, डी.ए.पी. का असर जैसे-जैसे मिट्टी से कम हो जाएगा, बाहर से आने वाले कीट और जंतु भी आपके खेत में कम होते जाएंगें, तो जंतुनाशक और कीटनाशक डालने का खर्च भी कम होता जाएगा, और लगातार तीन-चार साल ये खाद बनाकर आपने डाल दिया तो लगभग तय मानिए आपके खेत में कोर्इ भी जहरीला कीट और जंतु आएगा नहीं, तो उसको मारने के लिए किसी भी दवा की जरूरत नहीं पड़ेगी तो 20 प्रतिशत जो कीटनाशक का खर्चा था वो भी बच जाएगा। खेती का 80 प्रतिशत खर्चा आपका बच जाएगा। दूसरी बात इस खाद के बारे में ये कि ये सभी फसलों के लिए है। जानवरों का गोबर और गोमूत्र गाँव में आसानी से मिल जाता है। गोबर इकटठा करना तो बहुत आसान है। जानवरों का मूत्र इकटठा करना भी आसान है।
देसी गौमाता या देसी बैल का मूत्र कैसे इकटठा करें ?
सभी देसी गौमाता या देसी बैल का मूत्र देते हैं। आप ऐसा करिए कि उनको बांधने का जो स्थान है वो थोड़ा पक्का बना दीजिए, सीमेंट या पत्थर लगा दीजिए और उस स्थान को थोड़ा ढाल दे दीजिए और फिर उसमें एक नाली बना दीजिए और बीच में एक खडडा डाल दीजिए। तो जानवर जो भी मूत्र करेंगे वो सब नाली से आकर खडडे में इकटठा हो जाएगा। अब देसी गौमाता या देसी बैल के मूत्र की एक विशेषता है कि इसकी कोर्इ एक्सपायरी डेट नहीं है। 3 महीने, एक साल, दो साल, पांच साल, दस साल कितने भी दिन पड़ा रहे खडडे में, वो खराब बिल्कुल नहीं होता। इसलिए बिल्कुल निशचिंत तरीके से आप इसका इस्तेमाल करें, मन में हिचक मत लायें कि ये पुराना है या नया। हमने तो ये पाया है कि जितना देसी गौमाता या देसी बैल का मूत्र पुराना होता जाता है उसकी गुन्वत्ता उतनी ही अच्छी होती जाती है। ये जितने भी मल्टीनेशनल कम्पनियों के जंतुनाशक हैं उन सबकी एक्सपायरी डेट है और उसके बाद भी कीड़े मरते नहीं है और किसान उसको कर्इ बार चख कर देखते हैं कि कहीं नकली तो नहीं है, तो किसान मर जाते हैं, कीड़े नहीं मरते हैं तो मल्टीनेशनल कम्पनियों के कीटनाशक लेने से अच्छा है देसी गौमाता या देसी बैल के मूत्र का उपयोग करना। तो इसको खाद में इस्तेमाल करिए, ये एक तरीका है। लगातार तीन-साल इस्तेमाल करने पर आपके खेत की मिट्टी को एकदम पवित्र और शुदध बना देगा, मिट्टी में एक कण भी जहर का नहीं बचेगा। और उत्पादन भी पहले से अधिक होगा । फसल का उत्पादन पहले साल कुछ कम होगा परन्तु खाद का खर्चा एक हि जाटके मे कम हो जायेंगा और उत्पादन भी हर साल बडता जायेगा ।

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