जैविक किटनाशक बनाने की विधि

दलहनी फसलों में प्रति एकड़ 4 से 5 पैकेट राइजोबियम कल्चर डालना पड़ेगा । एक दलीय फसलों में एजेक्टोबेक्टर कल्चर इनती ही मात्रा में डालें । साथ ही भूमि में जो फास्फोरस है, उसे घोलने हेतु पी.एस.पी. कल्चर 5 पैकेट प्रति एकड़ डालना होगा ।
10 लीटर गौ मूत्र में 2 किलो अकौआ के पत्ते डालकर 10 से 15 दिन सड़ाकर,इस मूत्र को आधा शेष बचने तक उबालें फिर इसके 1 लीटर मिश्रण को 150 लीटर पानी में मिलाकर रसचूसक कीट /इल्ली नियंत्रण हेतु छिटकें।
लहसुन 500 ग्राम, हरी मिर्च तीखी चिटपिटी 500 ग्राम लेकर बारीक पीसकर150 लीटर पानी में घोलकर कीट नियंत्रण हेतु छिड़कें ।
जैविक खेती — विकासपीडिया
hi.vikaspedia.in/.../91c94893593f915-916947924940
जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग .... अब हम खेती में इन सूक्ष्म जीवाणुओं का सहयोग लेकर खाद बनानेएवं तत्वों की पूर्ति हेतु मदद लेंगे। .... पत्ते इन सब पत्तो को कूट कर बारीक़ किलोग्राम पीसकर चटनी बनाकर उबाले और उसमे 20 गुना पानी मिलाकर किट नाशक या नियंत्रक तैयार करे ...
मटका खड्ड - यूट्यूब
www.youtube.com/watch?v=K9-I6bc6_Es
Apr 3, 2010 - Uploaded by digitalgreenorg
4. खड्ड Banane की विधि (jitane भी prakaar Hai खड्ड Banane Ke सबका varnankarein) 5. प्राथमिकी फसल की रक्षा के liye ...
जैविक खेती - विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/जैविक_खेती
Jump to पर्यावरण की दृष्टि से - कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है। ... जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की ...
स्वरोजगार के विभिन्न क्षेत्र - Sarvoday
sarvoday.co.in/swarojgar.html
प्लास्टिक गेंद फुटबाल बनाने की ईकाई, पीवीसी कोटेड वापर निर्माण उद्योग, अजवाईन की खेती ....जैविक किटनाशक - पांच लिटर गौ मूत्र, 3 किलो ज्यादा बीज वाली तीखी हरी मिर्च या (लाल मीर्च एक किलो)आधा किलो लहसुन, नीम, ... जैविक खाद बनाने की विधि.
news,Articles,Environment, पर्यावरण के लिए ...
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जिसमें किसानों को विभिन्न फसल चक्रों और जैविक खाद व जैविक कीटनाशकबनाने की विधि की जानकारी दी जाती है। तीन साल तक सफलता के साथ जैविक खेती करने के बाद किसानों और उनके खेतों के रूप में किसी देशी या विदेशी सत्यापन ...
Rajiv Dixit ::: भारत मे खेती और किसानों की ...
rajivdixit.net/content-index-भारत_मे_खेती_और_...
भारत मॅ खेती और किसानों की बर्बादी के विभिन्न कारण. ... राजीव दीक्षित-गौशालाजैविक कीटनाशक बनाने की विधि बीज संस्कारीण विधि जैविक खाद बनाने की विधि .... किसानों के लिए जो किटनाशक दवायें बनती थीं उसमें कमी आती थी।
प्रदर्शनी के जरिए दिखाई गई अनेकता में एकता ...
www.bhaskar.com › Jharkhand
 खेती कैसे हो सकती है। बता दें कि एकल अभियान की ओर से ग्रामोत्थान की प्रदर्शनी में जैविक खाद के इस्तेमाल से खेती करने की विधि बताई गई थी। इसमें प्राकृतिक तरीके से खाद और किट नाशक बनाने की विधियों को दर्शाया गया था।
सब्जियों की पौध तैयार करने की प्‍लास्टिक ...
kisanhelp.in/.../सब्जियों-की-पौध-तैयार-कर...
गर्मी के मौसम में पौध पर रोपाई से पहले दिन किटनाशक का छिडकाव करना लाभदायक होता है। सामान्‍य ... ऐसी सब्जियां जिनकी परम्‍परागत विधि से पौध तैयार करना संभव नही जैसे बेल वाली सब्जिया ,की भी पौध तैयार की जा सकती है। 7. पौध की ... agricare: जैविक कृषि सुरक्षा ... गौवंश जीवामृत बनाने की विधि.
कीटनाशक और रसायन - इंडिया वाटर पोर्टल - India ...
hindi.indiawaterportal.org/node/33656
जैविक कीटनाशक अपनाकर पानी प्रदूषण से बचाएं ... पूरे विश्व में कृषि रोगों और खरपतवार को कीटनाशकों से खत्म करके अनाज, सब्जियाँ, फल, फूल और वनस्पतियों की सुरक्षा करने का ... कर रहे हैं, वह मानव के जीवन के लिये भी खतरा हो सकते है और तो और उन रसायनों के उपयोग की विधि में यह भी लिखा जाता है कि इस रसायन का ... यूनियन कार्बाइड एक कीटनाशक रसायन बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जिससे 1984 में मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस का ...
Agriculture Buxar: February 2013
agriculturebuxar.blogspot.com/2013_02_01_archive....
हरी खाद बनाने के लिये अनुकूल फसले : ढेंचा, लोबिया, उरद, मूंग, ग्वार बरसीम, कुछ मुख्य फसले है जिसका प्रयोग हरी खाद बनाने में होता है । ढेंचा इनमें से ..... कीटों का नियंत्रणजैविक तरीको से करने का तरीका है ओर आईपीएम का सबसे महत्वपूर्ण अवयव है. व्यापक अर्थ .... गर्मी के मौसम में पौध पर रोपाई से पहले दिन किटनाशक का छिडकाव करना लाभदायक होता है। सामान्‍य ...

1. जैविक किटनाशक - पांच लिटर गौ मूत्र, 3 किलो ज्यादा बीज वाली तीखी हरी मिर्च या (लाल मीर्च एक किलो)आधा किलो लहसुन, नीम, भांग, धतुरा, आक, तंबाकू, ऐरण्ड, सीता फल के पत्ती, बेशरम, आनार इनमें से किसी तीन प्रकार के पत्ते को जो उपलब्ध हो तीन से पांच किलो के बीच ले सकते है इन्हें अच्छी तरह कूट पीस कर सबको एक मिट्टी के बर्तन में डालकर अच्छी तरह ढंककर बर्तन के आधे हिस्से को जमीन में गड़ा दे आधे भाग को जमीन से उपर रहने दे ताकि सूर्य की रोशनी मिलती रहे। दस ग्यारह दिन बाद छानकर निचोड़कर अलग कर ले। यदि किसी को तुरंत छिड़काव करना है तो दस ग्यारह दिन सड़ाने के बजाय सभी को कूट पीसकर मिला लें और धीमे आंच पर भी तैयार कर सकते है। इसे सौ से एक सौ पच्चीस लिटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़क सकते है।

2. जीरा, धनीया आदि कोमल नाजुक व संवेदनशील फसलो पर तो केंवल गौमूत्र छिड़कने से ही कीट मर जाते है।

3. फसलो पर जो तैला आ जाता है। उसके लिऐ दूध में थोड़ा गुड़ मिलाकर एक एकड़ के लिए तीन, चार लिटर दूध व एक किलो गुड़ पर्याप्त होता है।

4. फंगस के लिए 15-20 दिन पुरानी चार-पांच लीटर छांछ एक एकड़ के लिऐ पर्याप्त होता है।

5. फसलों मे विशेष रूप से सब्जियों में चमक व उपज बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनीयां साठ रूपये का एक ग्राम अर्थात् लगभग पचास हजार रू. किलो का जिबरेलीक एसीड बेचती है। इसके लिए एक एकड़ जमीन हेतु एक साल पुराने गाय के कंडे या उपलें लेकर दस पंद्रह लिटर पानी में डालकर एक ड्रम या मिट्टी के बर्तन में किसी पेड़ के निचे या छाया में कंहीं भी रख दें और सुबह शाम लकड़ी के डंडे से हिलाते रहे दस पंद्रह दिन में यह एक एकड़ के लिये जीवामृत तैयार हो जाता है यह जीवामृत जिबरेला ऐसीड से ज्यादा गुणकारी व लाभकारी है यह एक एकड़ के लिये पर्याप्त है।

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